प्राइवेट विद्यालयों के बंद होने का फायदा उठा रहे हैं शासकीय विद्यालय

 


 विना टी सी के एडमिशन कर रहे हैं उत्कृष्ट विद्यालय
 शिक्षा विभाग  द्वारा जबरन टीसी के लिए प्राइवेट स्कूलों मैं बनाया जा रहा है दबाव 
पन्ना /पूरे देश में शासकीय स्कूलों की हालत बद से बदतर बनी हुई है शासकीय स्कूल में पढऩे वाले 90 फ़ीसदी बच्चों की हालत यह है कि उनसे शुद्ध हिंदी व अंग्रेजी नहीं बनती और केवल कक्षाओं में वृद्धि कर दी जाती है अधिकांश बच्चे शासकीय स्कूलों में पढऩा भी नहीं चाहते। शासकीय स्कूलों में शिक्षक कम नेता ज्यादा रहते हैं। जनपद जनपद शिक्षा विभाग का कोई जोर नहीं चल पाता और ना ही बच्चों के  भविष्य की दिशा में शिक्षक पढ़ाई के अलावा सब कुछ करते हैं नेतागिरी कर शासकीय विद्यालय अड्डा बने हुए हैं शिक्षा विभाग को चाहिए कि शासकीय स्कूलों की व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में काम करें ज्ञात हो कि और सी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या जीरो हो चुकी है परंतु फिर भी वहां शिक्षक कार्यरत है जो बड़ी-बड़ी पगार जिनको मिल रही है बहुत से स्कूलों की हालत है कि 15-20 बच्चे और 4-5 टीचर जिनकी वेतन सब टीचरों की मिलाकर देखा जाए तो कई लाख रुपए होती है यदि बच्चों में खर्च का हिसाब देखा जाए तो सरकार एक एक बच्चे पर 5 हजार से लेकर?10हजार सरकार खर्च कर रही है बच्चों के भविष्य बनाने के लिए शिक्षकों को देती है लेकिन होता क्या है उल्टा दूसरी ओर जो देश की शिक्षा को जीवित रखे हुए हैं बच्चों के सुंदर भविष्य को बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं उन पर सरकार अंकुश पैदा करती है तरह तरह से शिक्षा विभाग हथकंडे अपनाकर प्रताडि़त करती है के लिए अभिभावक बच्चों के भविष्य को सुंदर और सुखद बनाने के लिए मेहनत मजदूरी कर फीस देकर प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ाते हैं ताकि उनके बच्चों का भविष्य सुंदर व सुखद रहे और सरकारी विद्यालय  देश के बच्चों का भविष्य को गर्त में ढकेल रहे हैं अनपढ़ों की फौज निकाल रहे हैं जब बच्चे पढऩा नहीं चाहते तो जबरन लालच देकर के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए बाध्य किया जाता है और अब तो  करोना महामारी का फायदा लेकर अपनी स्कूल की छात्र संख्या बढ़ाने में शिक्षा विभाग जुटा हुआ है वह विधिवत फरमान जारी हुआ है कि प्राइवेट स्कूलों के बच्चों का बिना टी सी के एडमिशन दे दिया जाए और विधिवत छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय फरमान जारी किया था इसी प्रकार मध्य प्रदेश के कई शिक्षा अधिकारियों द्वारा भी इसी का तरीका फरमान जारी किया गया और उन को पुरस्कृत करने की भी बात की गई थी पन्ना में भी शासकीय स्कूलों में बिना टीसी के एडमिशन दिए जा रहे हैं और शिक्षा अधिकारी द्वारा उन विद्यालयों पर दबाव बनाया जा रहा है कि इन बच्चों की टीसी दे दी जाए जिन्होंने टीसी की मांग की है जबकि शासन का नियम है कि विद्यालय की  अधिकतम कक्षा जहां तक विद्यालय संचालित है बच्चों को उसी क्लास तक अध्ययन कराया जाए और केवल 10 प्रतिशत टी सी दी जाए और ना ही 10 फीसद नवीन छात्रों को  प्रवेश दिया जाए लेकिन उत्कृष्ट विद्यालय जहां पर करो ना महामारी का फायदा उठाकर भारी संख्या में छात्रों का प्रवेश दिया जा रहा है जिससे प्राइवेट विद्यालयों में अफरा तफरी मची हुई है और बहुत से विद्यालय लगातार परेशान है एवं विद्यालय संचालक विद्यालय बंद करने की कगार पर है प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा इस बाबत जिला शिक्षा अधिकारी से मांग भी की गई थी बिना टी सी के किसी के शासकीय विद्यालय एडमिशन ना दे और न्यूनतम संख्या में ही प्रवेश दे जो छात्र अशासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत है और वहां सीट खाली है उनको प्रवेश दिलाया जाए।